हुस्न पर दोहे

हम हुस्न को देख सकते

हैं, महसूस कर सकते हैं इस से लुत्फ़ उठा सकते हैं लेकिन इस का बयान आसान नहीं। हमारा ये शेरी इन्तिख़ाब हुस्न देख कर पैदा होने वाले आपके एहसासात की तस्वीर गिरी है। आप देखेंगे कि शाइरों ने कितने अछूते और नए नए ढंग से हसन और इस की मुख़्तलिफ़ सूरतों को बयान किया। हमारा ये इन्तिख़ाब आपको हुस्न को एक बड़े और कुशादा कैनवस पर देखने का अहल भी बनाएगा। आप उसे पढ़िए और हुस्न-परस्तों में आम कीजिए।

बुर्क़ा-पोश पठानी जिस की लाज में सौ सौ रूप

खुल के देखी फिर भी देखी हम ने छाँव में धूप

जमीलुद्दीन आली

रोज़ इक महफ़िल और हर महफ़िल नारियों से भरपूर

पास भी हों तो जान के बैठें 'आली' सब से दूर

जमीलुद्दीन आली

Jashn-e-Rekhta | 2-3-4 December 2022 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate, New Delhi

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