जीत पर शेर

जीत और हार का तसव्वुर

बहुत पुराना है। ज़िन्दगी के तमाम खेल जीत की ख़्वाहिश में ही खेले जाते हैं चाहे इनका नतीजा कुछ भी निकले। दिल और दुनिया की बाज़ी में शायर भी कहीं न कहीं शामिल होता है इस लिए जीत उसके लिए भी शायरी का मौज़ूअ है। जीत शायरी के जश्न में कुछ देर के लिए आप भी शरीक हों तो मज़ा आ जाएः

दुश्मन से ऐसे कौन भला जीत पाएगा

जो दोस्ती के भेस में छुप कर दग़ा करे

सलीम सिद्दीक़ी

Jashn-e-Rekhta | 2-3-4 December 2022 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate, New Delhi

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