
मेहनत-कश मज़दूरों की सही नफ़सियात कुछ उनका अपना पसीना ही ब-तरीक़-ए-अहसन बयान कर सकता है। उस को दौलत के तौर पर इस्तेमाल कर के उस के पसीने की रौशनाई में क़लम डुबो-डुबो कर ग्रांडील लफ़्ज़ों में मंशूर लिखने वाले, हो सकता है बड़े मुख़्लिस आदमी हों, मगर माफ़ कीजिए मैं अब भी उन्हें बहरूपिया समझता हूँ।
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