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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

मेहनत पर शेर

इंसानी ज़िंदगी की तमाम

बहारें जद्द-ओ-जहद और मेहनत पर ही मुनहसिर होती हैं। इसी लिए कहा जाता है कि "जैसा बोना वैसा काटना" ये महावरा इंसानी तरीक़ा-ए-ज़िंदगी की इसी सच्चाई को वाज़ेह करता है। हमारे मुंतख़ब-कर्दा इन अशआर में मेहनत को ज़िंदगी गुज़ारने के एक उमूमी अमल के तौर पर भी मौज़ू बनाया गया है और उसे एक फ़लसफ़ियाना डिस्कोर्स के तौर पर भी बर्ता गया है। इन अशआर का एक मुस्बत पहलू ये भी है कि उन को पढ़ने से ज़िंदगी करने के अमल में मेहनत का हौसला पैदा होता है।

मेहनत से है अज़्मत कि ज़माने में नगीं को

बे-काविश-ए-सीना कभी नामवरी दी

बहादुर शाह ज़फ़र

मेहनत से मिल गया जो सफ़ीने के बीच था

दरिया-ए-इत्र मेरे पसीने के बीच था

अबु तुराब

Jashn-e-Rekhta | 8-9-10 December 2023 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate - New Delhi

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