शख़्सियात पर शेर

हमारे मुंतख़ब कर्दा ये

अशआर ज़िंदगी के अलग अलग मैदानों में अहम तरीन ख़िदमात अंजाम देने वाली शख़्सिय्यात के तईं एक तरह का ख़िराज-ए-अक़ीदत भी हैं और उनको याद कर के उदास हो जाने की कैफ़ियतों का बयानिया भी। शख़्स शख़्सिय्यत कैसे बनता है और वो अपने अहद पर किस तरह के असरात छोड़ता है इन सब का और शख़्सिय्यतों से जुड़े हुए और बहुत से पहलुओं का तख़्लीक़ी बयान आप इस शायरी में पढ़ेंगे।

हिन्दू चला गया मुसलमाँ चला गया

इंसाँ की जुस्तुजू में इक इंसाँ चला गया

असरार-उल-हक़ मजाज़

देखिए होगा श्री-कृष्ण का दर्शन क्यूँ-कर

सीना-ए-तंग में दिल गोपियों का है बेकल

मोहसिन काकोरवी

Jashn-e-Rekhta | 2-3-4 December 2022 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate, New Delhi

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