दर्शन पर चित्र/छाया शायरी

फ़ल्सफ़े के उनवान के तहत

जो अशआर हैं वो ज़िंदगी के बारीक और अहम तरीन गोशों पर सोच बिचार का नतीजा हैं। इन शेरों में आप देखेंगे कि ज़िंदगी के आम से और रोज़ मर्रा के मुआमलात को शायर फ़िक्र की किस गहरी सतह पर जा कर देखता, परखता और नताएज अख़ज़ करता है। इस क़िस्म की शायरी को पढ़ना इस लिए भी ज़रूरी है कि उस से हमारे अपने ज़हन-ओ-दिमाग़ की परतें खुलती हैं और हम अपने आस-पास की दुनिया को एक अलग नज़र से देखने के अहल हो जाते हैं।

बड़े तहम्मुल से रफ़्ता रफ़्ता निकालना है

अपने होने का कुछ एहसास न होने से हुआ

अपने होने का कुछ एहसास न होने से हुआ

अपने होने का कुछ एहसास न होने से हुआ

अपने होने का कुछ एहसास न होने से हुआ

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