तन्हाई पर चित्र/छाया शायरी

क्लासिकी उर्दू शाइरी

में तन्हाई का संदर्भ प्रेम का पारंपरिक सौंदर्य है । क्लासिकी शाइरी का महबूब जब मिलन से इनकार करता है तो उस का आशिक़ विरह के दुख से गुज़रता है । अब केवल महबूब की याद उस के जीवन को सहारा देती है । तन्हाई और एकाकीपन के अर्थों का विस्तार उर्दू की आधुनिक शाइरी में होता है और अब इश्क़-ओ-मोहब्बत से आगे का सफ़र तय होता है । आधुनिक शाइरी में तन्हाई कभी मशीनी ज़िंदगी का रूपक बनती है तो कभी इंसान के अपने अस्तित्व और ख़ाली-पन को विषय बनाती है । यहाँ प्रस्तुत संकलन से आप को उर्दू शाइरी के ट्रेंड को समझने में मदद मिलेगी ।

दे हौसले की दाद के हम तेरे ग़म में आज

हो जाएगी जब तुम से शनासाई ज़रा और

अपने होने का कुछ एहसास न होने से हुआ

ये सर्द रात ये आवारगी ये नींद का बोझ

पूरा दुख और आधा चाँद

आप की आँख से गहरा है मिरी रूह का ज़ख़्म

हो जाएगी जब तुम से शनासाई ज़रा और

आवारा

मैं अपने साथ रहता हूँ हमेशा

आवारा

अब तो उन की याद भी आती नहीं

अपने होने का कुछ एहसास न होने से हुआ

अपने होने का कुछ एहसास न होने से हुआ

अपने होने का कुछ एहसास न होने से हुआ

मैं हूँ दिल है तन्हाई है

मैं हूँ दिल है तन्हाई है

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