aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

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शराब पर चित्र/छाया शायरी

अगर आपको बस यूँही बैठे

बैठे ज़रा सा झूमना है तो शराब शायरी पर हमारा ये इन्तिख़ाब पढ़िए। आप महसूस करेंगे कि शराब की लज़्ज़त और इस के सरूर की ज़रा सी मिक़दार उस शायरी में भी उतर आई है। ये शायरी आपको मज़ा तो देगी ही, साथ में हैरान भी करेगी कि शराब जो ब-ज़ाहिर बे-ख़ुदी और सुरूर बख़्शती है, शायरी मैं किस तरह मानी की एक लामहदूद कायनात का इस्तिआरा बन गई है।

बारिश शराब-ए-अर्श है ये सोच कर 'अदम'

अब तो उतनी भी मयस्सर नहीं मय-ख़ाने में

मान मौसम का कहा छाई घटा जाम उठा

शिकन न डाल जबीं पर शराब देते हुए

पीता हूँ जितनी उतनी ही बढ़ती है तिश्नगी

अब तो उतनी भी मयस्सर नहीं मय-ख़ाने में

आए थे हँसते खेलते मय-ख़ाने में 'फ़िराक़'

Jashn-e-Rekhta | 8-9-10 December 2023 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate - New Delhi

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