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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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Ameer Raza Mazhari's Photo'

अमीर रज़ा मज़हरी

1908 | कोलकाता, भारत

अमीर रज़ा मज़हरी के शेर

तुम किसी के भी हो नहीं सकते

तुम को अपना बना के देख लिया

हम को बचपन ही से इक शौक़ था बर्बादी से

नाम लिख लिख के मिटाते थे ज़मीं पर अपना

हम बने थे तबाह होने को

आप का इश्क़ तो बहाना था

हम हैं उन से वो ग़ैर से मायूस

क्या मोहब्बत किसी को रास नहीं

क्या तअज्जुब है जो यारों ने रिफ़ाक़त छोड़ी

बैठता कौन है गिरती हुई दीवार के पास

देखने वाले समझते हैं शनासा भी नहीं

आज बेगाने नज़र आते हैं हम तुम कितने

हमारे ब'अद सुनना दूसरों से

कहानी ये अभी पूरी नहीं है

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