नियाज़ फ़तेहपुरी के शेर
घड़ी घड़ी न इधर देखिए कि दिल पे मुझे
है इख़्तियार पर इतना भी इख़्तियार नहीं
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मैं अब तो ऐ जुनूँ तिरे हाथों से तंग हूँ
लाऊँ कहाँ से रोज़ गरेबाँ नए नए
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न दुनिया का हूँ मैं न कुछ फ़िक्र दीं का
मोहब्बत ने रक्खा न मुझ को कहीं का
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तुम तो ठुकरा कर गुज़र जाओ तुम्हें टोकेगा कौन
मैं पड़ा हूँ राह में तो क्या तुम्हारा जाएगा
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