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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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Siraj Ajmali's Photo'

सिराज अजमली

1966 | अलीगढ़, भारत

सिराज अजमली के शेर

जो नहीं होता बहुत होती है शोहरत उस की

जो गुज़रती है वो अशआ'र में आती ही नहीं

यूँ सरापा इल्तिजा बन कर मिला था पहले रोज़

इतनी जल्दी वो ख़ुदा हो जाएगा सोचा था

उसे जिस शब मधुर आवाज़ में गाना था लाज़िम

रिवायत है कि उस शब भी परिंदा चुप रहा था

जिस रात में हिज्र हो ने वस्ल 'अजमली'

उस रात में कहाँ की ग़ज़ल जागते रहो

शाम-ए-मिम्बर पर फ़ज़ीलत के बहुत संजीदा फ़रहाँ

सुब्ह-दम अफ़्सुर्दगी के फ़र्श पर बिखरा हुआ मैं

ता-सुब्ह मेरी लाश रही बे-कफ़न तो क्या

बानू-ए-शाम नौहा-कुनाँ ही नहीं हुई

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