ज़िंदगी अपनी जब इस शक्ल से गुज़री...
तौक़ीत-ए-ग़ालिब
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
तौक़ीत-ए-ग़ालिब
27 December
असदुल्लाह बेग ख़ाँ आगरा में अबदुल्लाह बेग ख़ाँ और इज़्ज़तुन्निसा बेगम के हाँ पैदा हुए।
ग़ालिब ने 'असद' तख़ल्लुस से शेर कहना शुरू किया।
9 August
तेरह साल की उम्र में ग़ालिब की शादी उमराव बेगम से हुई।
ग़ालिब ने 'असद' तख़ल्लुस छोड़ कर ग़ालिब को अपना तख़ल्लुस बना लिया।
28 April
पेंशन केस की पहली सुनवाई।
27 January
ग़ालिब की पैंशन की अपील मुस्तरद।
ग़ालिब का उर्दू दीवान पहली बार दिल्ली में प्रकाशित हुआ।
October
फ़ारसी दीवान मैख़ाना-ए-आरज़ू का प्रथम प्रकाशन।
25 May
ग़ालिब को अपने घर पर जुआ खेलने के जुर्म में गिरफ़्तार किया गया।
4 July
बहादुर शाह ज़फ़र ने तैमूर ख़ानदान की तारीख़ लिखने के लिए ग़ालिब को 600 रुपये के वज़ीफ़े पर मुलाज़िम रखा।
उमराव बेगम के भतीजे ज़ैनुल-आबिदीन आरिफ़ की वफ़ात।
क़ादिर-नामा के पहले संस्करण का प्रकाशन।
5 February
ग़ालिब यूसुफ़ अली ख़ान रामपूर के उस्ताद बने।
November
दस्तंबो का प्रकाशन।
27 October
उर्दू ख़ुतूत के पहले संग्रह ऊद-ए-हिंदी का प्रकाशन।
15 February
ग़ालिब की वफ़ात। वो हज़रत निज़ामुद्दीन के मज़ार के क़रीब दफ़्न हैं।
मिर्ज़ा ग़ालिब के बहुमुखी व्यक्तित्व के चंद पहलू
मिर्ज़ा ग़ालिब के बहुमुखी व्यक्तित्व के चंद पहलू
उर्दू अदब की तारीख़ में मिर्ज़ा ग़ालिब वो शायर हैं, जिन्हें सदियों याद रखा जाएगा | उनकी शायरी ने लगभग हर दौर के शायरों को प्रेरित किया है | अपनी शिल्प में कठिन होने के बावजूद भी उनके शेर रोज़मर्रा की ज़िन्दगी में मुहावरों की तरह इस्तेमाल होते हैं | जैसे - मौत का एक दिन मुअय्यन है, नींद क्यों रात भर नहीं आती |
मिर्ज़ा ग़ालिब फ़ारसी के विद्वान् थे | उन्होंने फ़ारसी भाषा में भी शायरी की | फ़ारसी में वह मशहूर कवि बेदिल देहलवी से बहुत प्रभावित थे | उन्होंने फ़ारसी शब्दकोष 'बुरहान-ए- क़ाते' की आलोचना 'क़ाते-ए-बुरहान' के नाम से की है |
मिर्ज़ा ग़ालिब कई मशहूर शायरों के उस्ताद रहे | जिन में शेफ़्ता, हाली, मीर मेहदी मजरूह जैसे शायर शामिल हैं | उस्ताद ज़ौक़ के देहांत के बाद वह दाग़ देहलवी के उस्ताद रहे |
दिलचस्प बात यह है कि ग़ालिब के अधिकांश पत्र बच गए हैं। उनकी विशिष्ट लेखन शैली और भाषा पत्रों को विश्वसनीयता प्रदान करती है। मुख्य रूप से अपने दोस्तों को संबोधित पत्र, ग़ालिब के जीवन और समय की पेचीदगियों को समेटे हुए हैं। ग़ालिब के पत्र का संग्रह दो खंडों में प्रकाशित है, 'ऊद-ए-हिंदी' और 'उर्दू-ए-मुअल्ला'
मिर्ज़ा ग़ालिब पर रेख़्ता की ख़ास वीडियो पेशकश
मिर्ज़ा ग़ालिब पर दिलचस्प वीडियोज़
ग़ालिब पर फ़रहत एहसास के साथ एक गुफ़्तगू
महान शायर/विश्व-साहित्य में उर्दू की आवाज़/सब से अधिक लोकप्रिय सुने और सुनाए जाने वाले अशआर के रचयिता
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