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अलक़मा शिबली

1930 - 2019 | कोलकाता, भारत

कलकत्ता के प्रसिद्ध शायर. ग़ज़ल, नज़्म और रुबाई जैसी विधाओं में रचनाएं की. बच्चों के लिए लिखी नज़्मों के कई संग्रह प्रकाशित हुए. कई साहित्यिक पत्रिकाओं के संपादक रहे

कलकत्ता के प्रसिद्ध शायर. ग़ज़ल, नज़्म और रुबाई जैसी विधाओं में रचनाएं की. बच्चों के लिए लिखी नज़्मों के कई संग्रह प्रकाशित हुए. कई साहित्यिक पत्रिकाओं के संपादक रहे

अलक़मा शिबली

ग़ज़ल 23

नज़्म 18

अशआर 4

गुम रहोगे कब तक अपनी ज़ात ही में

ज़िंदगी से भी कभी आँखें मिलाओ

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ये क्या कि फ़क़त अपनी ही तस्वीर बनाओ

नक़्श-गरो वुसअत-ए-फ़न कुछ तो दिखाओ

क्यूँ लग़्ज़िश-ए-पा मेरी मलामत का हदफ़ है

जीने का सलीक़ा मुझे बख़्शा है इसी ने

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उस मंज़िल-ए-हयात में अब गामज़न है दिल

'शिबली'! जहाँ किसी की भी आवाज़-ए-पा नहीं

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क़ितआ 1

 

रुबाई 9

पुस्तकें 21

"कोलकाता" के और शायर

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