अताउल हसन
ग़ज़ल 14
अशआर 4
सिर्फ़ तस्वीर रह गई बाक़ी
जिस में हम एक साथ बैठे हैं
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
अब वो कहता है कि ज़ंजीर बनी मेरे लिए
उस के पैरों में जो पायल कभी पहनाई थी
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
धूप बढ़ी तो वो भी अपने अपने पाँव खींच गए
मैं ने अपने हिस्से की जिन पेड़ों को हरियाली दी
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
किसी और को मैं तिरे सिवा नहीं चाहता
सो किसी से तेरा मुवाज़ना नहीं चाहता
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए