नादिर अरीज़
ग़ज़ल 4
अशआर 1
अपनी ख़ुद्दारी तो पामाल नहीं कर सकते
उस का नंबर है मगर काल नहीं कर सकते
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere