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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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राज़ रामपुरी

1883 - 1918 | रामपुर, भारत

राज़ रामपुरी

ग़ज़ल 1

 

अशआर 1

मिल गई मुझ को तो दुनिया से नजात

क़त्ल कर के आप को क्या मिल गया

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