रईस सिद्दीक़ी
ग़ज़ल 13
अशआर 3
तिरे सुलूक का ग़म सुब्ह-ओ-शाम क्या करते
ज़रा सी बात पे जीना हराम क्या करते
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
न नींद आँखों में बाक़ी न इंतिज़ार रहा
ये हाल था तो कोई नेक काम क्या करते
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
बस इक ख़ता की मुसलसल सज़ा अभी तक है
मिरे ख़िलाफ़ मिरा आईना अभी तक है
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए