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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

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Syed Adeel Gilanii's Photo'

सय्यद अदील गिलानी

2001

सय्यद अदील गिलानी

ग़ज़ल 3

 

अशआर 4

एक मुद्दत से तिरी दीद की प्यासी आँखें

राह तकते हुए बीनाई गँवा बैठी हैं

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रात की तारीकियों में है दरख़्शाँ दाग़-ए-दिल

चाँद कहते फिर रहे हैं लोग मेरे ज़ख़्म को

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वो लोग जो कि 'इश्क़ के अब तक असीर थे

गुज़री कहानियों के फ़साने लगे मुझे

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अब वो रौनक़ ही नहीं किस लिए छत पर जाऊँ

खो गए शाम के मंज़र में गुलाबी चेहरे

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क़ितआ 3

 

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