यासीन अली ख़ाँ मरकज़
ग़ज़ल 12
अशआर 3
हम अपने आप तालिब मतलूब आप हम हैं
इस खेल में हमेशा हम ख़ुद को हारते हैं
- अपने फ़ेवरेट में शामिल कीजिए
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
ढूँढ हम उन को परेशान बने बैठे हैं
वो तो पर्दा लिए इंसान बने बैठे हैं
- अपने फ़ेवरेट में शामिल कीजिए
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
बंदे का पर्दा शान-ए-इलाही छुपी हुई
ख़ुद को तो छोड़ ख़ाक उड़ाया तो क्या हुआ
- अपने फ़ेवरेट में शामिल कीजिए
-
शेयर कीजिए