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फ़हमीदा रियाज़

1946 - 2018 | कराची, पाकिस्तान

प्रसिद्ध पाकिस्तानी शायरा। अपने स्त्री-वादी और संस्था-विरोधी विचारों के लिए विख्यात

प्रसिद्ध पाकिस्तानी शायरा। अपने स्त्री-वादी और संस्था-विरोधी विचारों के लिए विख्यात

फ़हमीदा रियाज़

ग़ज़ल 7

नज़्म 43

अशआर 3

किस से अब आरज़ू-ए-वस्ल करें

इस ख़राबे में कोई मर्द कहाँ

मिरी बेबसी मुझ पे ज़ाहिर है लेकिन

तुम्हारी तमन्ना तुम्हारी तमन्ना

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चलते चलते कुछ थम जाना फिर बोझल क़दमों से चलना

ये कैसी कसक सी बाक़ी है जब पाँव में वो काँटा भी नहीं

 

कहानी 3

 

पुस्तकें 30

चित्र शायरी 1

 

वीडियो 5

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वीडियो का सेक्शन
शायर अपना कलाम पढ़ते हुए

फ़हमीदा रियाज़

फ़हमीदा रियाज़

फ़हमीदा रियाज़

लाओ हाथ अपना लाओ ज़रा

लाओ हाथ अपना लाओ ज़रा फ़हमीदा रियाज़

ऑडियो 21

कभी धनक सी उतरती थी उन निगाहों में

अक़्लीमा

आलम-ए-बर्ज़ख़

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