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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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Jagjit Singh's Photo'

जगजीत सिंह

1941 - 2011 | मुंबई, भारत

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जगजीत सिंह

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जगजीत सिंह

जगजीत सिंह

जगजीत सिंह

जगजीत सिंह

जगजीत सिंह

 Dekhna Jazb-e-mohabbat ka asar Aaj ki raat

देखना जज़्ब-ए-मोहब्बत का असर आज की रात जगजीत सिंह

Ab mohabbat na wafa aur na yaaraane hai

जगजीत सिंह

Ai watan mere watan

जगजीत सिंह

apne dil ko dono aalam se

apne dil ko dono aalam se- from Kahkashan जगजीत सिंह

bahut pahle se un qadmon ki aahat jaan lete hain

जगजीत सिंह

Ek diwane ko aaye hain diwane kai

जगजीत सिंह

Ghar Se Nikle The Hausala Karke

जगजीत सिंह

Hans Ke Bola Karo Bulaya Karo

जगजीत सिंह

Hijaab-e-fitna par ab utha leti to acha tha

हिजाब-ए-फ़ित्ना-परवर अब उठा लेती तो अच्छा था जगजीत सिंह

Ishq ke shole ko bhadkao

Jagjit Singh sings Makhdoom Mohiuddin's 'Ishq ke shole ko bhadkao' in Ali Sardar Jafri's 'Kahkashan'.The charachter of Makhdoom who has been a freedom fighter and a leading figure of Communist Party of India is portrayed by Irfan Khan. जगजीत सिंह

Koi ye kaise bataye (Movie- Arth) written by Kaifi Azmi

जगजीत सिंह

mere qareeb na aao

जगजीत सिंह

Nazar Woh Hai Ke Jo

Jigar Moradabadi's 'Nazar woh hai....' sung by Jagjit Singh in Ali Sardar Jafri's 'Kahkashan' जगजीत सिंह

Pyar mujhse jo kiya tumne

जगजीत सिंह

tere aane ki jab khabar mehke

जगजीत सिंह

Tujhse rukshat ki woh sham-e-ashq afsaan hae hae

Jagjit Singh sings Josh Malihabadi's 'Tujhse rukshat ki woh sham-e-ashq afsaan hae hae' in Ali Sardar Jafri's 'Kahkashan'.The charachter of Josh has been played by Parikhsit Sahni. जगजीत सिंह

Tumko dekhta to ye khayal aaya

जगजीत सिंह

tumne dil ki baat keh di

जगजीत सिंह

Wo kaghaz ki kashti wo barish ka pani

जगजीत सिंह

रात कटी गिन तारा तारा

जगजीत सिंह

वाली आसी

जगजीत सिंह

अगर हम कहें और वो मुस्कुरा दें

जगजीत सिंह

अंदेशे

रूह बेचैन है इक दिल की अज़िय्यत क्या है जगजीत सिंह

अंदेशा

बात निकलेगी तो फिर दूर तलक जाएगी जगजीत सिंह

अंदेशा

बात निकलेगी तो फिर दूर तलक जाएगी जगजीत सिंह

अपने चेहरे से जो ज़ाहिर है छुपाएँ कैसे

जगजीत सिंह

अपने होंटों पर सजाना चाहता हूँ

जगजीत सिंह

अब अक्सर चुप चुप से रहें हैं यूँही कभू लब खोलें हैं

जगजीत सिंह

अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिलें

जगजीत सिंह

अब ख़ुशी है न कोई दर्द रुलाने वाला

जगजीत सिंह

अर्ज़-ए-नियाज़-ए-इश्क़ के क़ाबिल नहीं रहा

जगजीत सिंह

अलविदा'अ

अलविदा'अ जगजीत सिंह

आइना सामने रखोगे तो याद आऊँगा

जगजीत सिंह

आए कुछ अब्र कुछ शराब आए

जगजीत सिंह

आए हैं समझाने लोग

जगजीत सिंह

आँख से दूर न हो दिल से उतर जाएगा

जगजीत सिंह

आज मैं ने अपना फिर सौदा किया

जगजीत सिंह

आते आते मिरा नाम सा रह गया

जगजीत सिंह

आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक

जगजीत सिंह

इक बरहमन ने कहा है कि ये साल अच्छा है

ज़ुल्म की रात बहुत जल्द टलेगी अब तो जगजीत सिंह

इश्क़ के शोले को भड़काओ कि कुछ रात कटे

जगजीत सिंह

उम्र जल्वों में बसर हो ये ज़रूरी तो नहीं

जगजीत सिंह

उसे समझने का कोई तो रास्ता निकले

जगजीत सिंह

एक पर्वाज़ दिखाई दी है

जगजीत सिंह

कभी यूँ भी आ मिरी आँख में कि मिरी नज़र को ख़बर न हो

जगजीत सिंह

किया है प्यार जिसे हम ने ज़िंदगी की तरह

जगजीत सिंह

किसी का यूँ तो हुआ कौन उम्र भर फिर भी

जगजीत सिंह

कौन कहता है मोहब्बत की ज़बाँ होती है

जगजीत सिंह

ख़ूब निभेगी हम दोनों में मेरे जैसा तू भी है

जगजीत सिंह

ख़्वाब था या ख़याल था क्या था

जगजीत सिंह

गुलशन की फ़क़त फूलों से नहीं काँटों से भी ज़ीनत होती है

जगजीत सिंह

घर से निकले थे हौसला कर के

जगजीत सिंह

चाँद से फूल से या मेरी ज़बाँ से सुनिए

जगजीत सिंह

ज़िंदगी यूँ हुई बसर तन्हा

जगजीत सिंह

झुकी झुकी सी नज़र बे-क़रार है कि नहीं

जगजीत सिंह

तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो

जगजीत सिंह

तुम नहीं आए थे जब

तुम नहीं आए थे जब तब भी तो मौजूद थे तुम जगजीत सिंह

तुम से मिलते ही बिछड़ने के वसीले हो गए

जगजीत सिंह

तेरे आने की जब ख़बर महके

जगजीत सिंह

तेरे ख़ुशबू में बसे ख़त

प्यार की आख़िरी पूँजी भी लुटा आया हूँ जगजीत सिंह

तेरा चेहरा कितना सुहाना लगता है

जगजीत सिंह

तस्कीन-ए-दिल-ए-महज़ूँ न हुई वो सई-ए-करम फ़रमा भी गए

जगजीत सिंह

दुख अपना अगर हम को बताना नहीं आता

जगजीत सिंह

देखा जो आईना तो मुझे सोचना पड़ा

जगजीत सिंह

दुनिया जिसे कहते हैं जादू का खिलौना है

जगजीत सिंह

दर्द अपनाता है पराए कौन

जगजीत सिंह

दर्द के फूल भी खिलते हैं बिखर जाते हैं

जगजीत सिंह

दर्द मिन्नत-कश-ए-दवा न हुआ

जगजीत सिंह

दर्द हल्का है साँस भारी है

जगजीत सिंह

दुश्वारी

मैं भूल जाऊँ तुम्हें जगजीत सिंह

दास्तान-ए-ग़म-ए-दिल उन को सुनाई न गई

जगजीत सिंह

दिन आ गए शबाब के आँचल सँभालिये

जगजीत सिंह

दिन कुछ ऐसे गुज़ारता है कोई

जगजीत सिंह

दिल ही तो है न संग-ओ-ख़िश्त दर्द से भर न आए क्यूँ

जगजीत सिंह

दोस्त ग़म-ख़्वारी में मेरी सई फ़रमावेंगे क्या

जगजीत सिंह

दोस्त बन कर भी नहीं साथ निभाने वाला

जगजीत सिंह

न था कुछ तो ख़ुदा था कुछ न होता तो ख़ुदा होता

जगजीत सिंह

नज़्र-ए-दिल

अपने दिल को दोनों आलम से उठा सकता हूँ मैं जगजीत सिंह

प्यास की कैसे लाए ताब कोई

जगजीत सिंह

फ़ासले ऐसे भी होंगे ये कभी सोचा न था

जगजीत सिंह

फ़ासला तो है मगर कोई फ़ासला नहीं

जगजीत सिंह

बे-नाम सा ये दर्द ठहर क्यूँ नहीं जाता

जगजीत सिंह

बाज़ीचा-ए-अतफ़ाल है दुनिया मिरे आगे

जगजीत सिंह

मैं रोया परदेस में भीगा माँ का प्यार

जगजीत सिंह

मुझ से बिछड़ के ख़ुश रहते हो

जगजीत सिंह

मेरे जैसे बन जाओगे जब इश्क़ तुम्हें हो जाएगा

जगजीत सिंह

मुँह की बात सुने हर कोई दिल के दर्द को जाने कौन

जगजीत सिंह

ये किस ख़लिश ने फिर इस दिल में आशियाना किया

जगजीत सिंह

ये कौन आता है तन्हाइयों में जाम लिए

जगजीत सिंह

रुख़ से पर्दा उठा दे ज़रा साक़िया बस अभी रंग-ए-महफ़िल बदल जाएगा

जगजीत सिंह

रौशन जमाल-ए-यार से है अंजुमन तमाम

जगजीत सिंह

लोग हर मोड़ पे रुक रुक के सँभलते क्यूँ हैं

जगजीत सिंह

वो ख़त के पुर्ज़े उड़ा रहा था

जगजीत सिंह

वो दिल ही क्या तिरे मिलने की जो दुआ न करे

जगजीत सिंह

वो नग़्मा बुलबुल-ए-रंगीं-नवा इक बार हो जाए

जगजीत सिंह

वो फ़िराक़ और वो विसाल कहाँ

जगजीत सिंह

सच ये है बे-कार हमें ग़म होता है

जगजीत सिंह

सर झुकाओगे तो पत्थर देवता हो जाएगा

जगजीत सिंह

सरकती जाए है रुख़ से नक़ाब आहिस्ता आहिस्ता

जगजीत सिंह

हम तो हैं परदेस में देस में निकला होगा चाँद

जगजीत सिंह

हर घड़ी ख़ुद से उलझना है मुक़द्दर मेरा

जगजीत सिंह

हर तरफ़ हर जगह बे-शुमार आदमी

जगजीत सिंह

हाथ छूटें भी तो रिश्ते नहीं छोड़ा करते

जगजीत सिंह

होश वालों को ख़बर क्या बे-ख़ुदी क्या चीज़ है

जगजीत सिंह

ये मो'जिज़ा भी मोहब्बत कभी दिखाए मुझे

जगजीत सिंह

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