साहिर भोपाली, मोहम्मद ख़ाँ (1911) अपने मनकी मौजके शाइर जिन्होंने किसी को उस्ताद नहीं बनाया। तालीम ज़ियादा नहीं हुई मगर अपने अनुभवों से बहुत कुछ सीखा। भोपाल में जन्म। कई साल मुंबई में रहे।
You have exhausted 5 free content pages per year. Register and enjoy UNLIMITED access to the whole universe of Urdu Poetry, Rare Books, Language Learning, Sufi Mysticism, and more.