किसी को दे के दिल कोई नवा-संज-ए-फ़ुग़ाँ क्यूँ हो शैली कपूर
ज़ुल्मत-कदे में मेरे शब-ए-ग़म का जोश है शैली कपूर
दिल ही तो है न संग-ओ-ख़िश्त दर्द से भर न आए क्यूँ शैली कपूर
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