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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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Shamsur Rahman Faruqi's Photo'

Shamsur Rahman Faruqi

1935 - 2020 | Allahabad, India

Poet, fiction writer and one of the leading Urdu critics

Poet, fiction writer and one of the leading Urdu critics

Shamsur Rahman Faruqi

Article 54

Short story 4

 

Quote 24

अदब के बारे में बुनियादी सवालात उठाना और मंतिक़ी रब्त के साथ उनका जवाब देना नक़्क़ाद का पहला काम होना चाहिए।

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अदब में ये कोई शर्त नहीं है कि महसूस की हुई बातें ही लिखी जाएं। अदब तो ज़बान का मामला है। ज़बान में जो इज़हार मुम्किन है वो अदब का इज़हार हो सकता है।

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फ़िक्शन निगार की हैसियत से मेरा अपना तजुर्बा भी यही है कि मैं अपने किरदार या वक़ूऐ को जैसा बनाना चाहता हूँ, हमेशा वैसा बनता नहीं है। मेरे सामने सामे'अ भी नहीं है जिसके दबाओ के तहत मैं किरदार और वाक़ेए' को आज़ाद ना होने दूँ। इस तरह मुतज़ाद सी सूरत-ए-हाल बनती है कि मैं अपने फ़िक्शन का ख़ालिक़ हूँ भी और नहीं भी हूँ...

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दुनिया की निगाहों में तो मेरी पहचान ऐसे नक़्क़ाद की है जिसने अदब के हर मैदान में तन्क़ीद का हक़ अदा किया है लेकिन जिसके ख़्यालात ने लोगों को गुमराह भी किया है। फ़र्क़ सिर्फ ये है कि दुनिया जिसे गुमराही क़रार देती है मैं उसे राह-ए-मुस्तक़ीम समझता हूँ।

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तरक़्क़ी पसंदों ने ग़ज़ल को सामराजी निज़ाम की यादगार कह कर इस लिए बिरादरी से बाहर करने की कोशिश की कि उन्हें ख़ौफ़ था कि अगर इस सख़्त-जान लौंडिया को घर में घुसने दिया गया तो अच्छा ना होगा।

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interview 10

Sher-o-Shayari 1

banā.eñge na.ī duniyā ham apnī

tirī duniyā meñ ab rahnā nahīñ hai

banaenge nai duniya hum apni

teri duniya mein ab rahna nahin hai

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Shamsur Rahman Faruqi

jibra.iil-o-ibliis

jibra.iil Shamsur Rahman Faruqi

qatl kiye par Gussa kyaa hai laash mirii uThvaane do

Shamsur Rahman Faruqi

yagaangat

zamaane me.n ko.ii buraa.ii nahii.n hai Shamsur Rahman Faruqi

dil-e-naadaa.n tujhe hu.aa kyaa hai

Shamsur Rahman Faruqi

piyaa baaj pyaalaa piyaa jaa.e naa

Shamsur Rahman Faruqi

samundar kaa bulaavaa

ye sargoshiyaa.n kah rahii hai.n ab aa.o ki barso.n se tum ko bulaate bulaate mire Shamsur Rahman Faruqi

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