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Sharib Rudaulvi

1932 - 2023 | Delhi, India

Quotes of Sharib Rudaulvi

इससे इनकार नहीं किया जा सकता कि मर्सिये से इंसानी दुनिया को एक अज़ीम-उश्-शान अख़लाक़ी-ओ-तहज़ीबी दर्स ‎मिलता है।

मर्सिया-गोई का वजूद-ए-दुनिया के वजूद के साथ हुआ होगा। इसलिए कि ख़ुशी और ग़म, यही इंसानियत के दो सब ‎से ज़्यादा नुमायाँ ‎‏पहलू हैं।

मर्सिये का तअ'ल्लुक़ एक ऐसे वाक़िए' से है जिसकी अहमियत कभी कम नहीं हो सकती। वाक़िआ-ए-कर्बला की ‎याद हमेशा मनाई गई और आज ‎‏भी जहाँ कहीं मुस्लमान हैं वो अपने अपने तरीक़े से उसकी याद मनाते हैं।

तसव्वुफ़ मज़हब-ए-आज़ादगी है, जिसमें हर पाबंदी से इंसान अपने को आज़ाद कर लेता है। यहाँ तक कि मज़हबी ‎अ'क़ाइद भी इस की निगाह में कोई वक़'अत नहीं रहती।

हर तहज़ीब की ज़बान अलग होती है बल्कि ये कहना मुनासिब होगा कि हर ज़माने की ज़बान का अपना एक कल्चर ‎होता है।

कोई सिन्फ़ अपने अहद के समाजियाती असरात से क़तई' तौर पर बाहर नहीं रह सकती। कोई अदब क़ुव्वत-ए-अस्र ‎की नफ़ी करके अपने‏‎ क़ारी के जज़्बात तक नहीं पहुँच सकता।‏

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