Font by Mehr Nastaliq Web

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर
Abdul Majeed Salik's Photo'

अब्दुल मजीद सालिक

1894 - 1959 | लाहौर, पाकिस्तान

मशहूर शायर और पत्रकार, अपने समय के लोकप्रिय समाचारपत्र ‘ज़मींदार’ के सम्पादक रहे. ‘ज़िक्र-ए-इक़बाल’ और ‘मुस्लिम सहाफ़त हिंदुस्तान में’ जैसी किताबें यादगार छोड़ीं

मशहूर शायर और पत्रकार, अपने समय के लोकप्रिय समाचारपत्र ‘ज़मींदार’ के सम्पादक रहे. ‘ज़िक्र-ए-इक़बाल’ और ‘मुस्लिम सहाफ़त हिंदुस्तान में’ जैसी किताबें यादगार छोड़ीं

अब्दुल मजीद सालिक के शेर

तुझे कुछ इश्क़ उल्फ़त के सिवा भी याद है दिल

सुनाए जा रहा है एक ही अफ़्साना बरसों से

जो उन्हें वफ़ा की सूझी तो ज़ीस्त ने वफ़ा की

अभी के वो बैठे कि हम उठ गए जहाँ से

इश्क़ है बे-गुदाज़ क्यूँ हुस्न है बे-नियाज़ क्यूँ

मेरी वफ़ा कहाँ गई उन की जफ़ा को क्या हुआ

हाल-ए-दिल सुन के वो आज़ुर्दा हैं शायद उन को

इस हिकायत पे शिकायत का गुमाँ गुज़रा है

चराग़-ए-ज़िंदगी होगा फ़रोज़ाँ हम नहीं होंगे

चमन में आएगी फ़स्ल-ए-बहाराँ हम नहीं होंगे

हमारे डूबने के बाद उभरेंगे नए तारे

जबीन-ए-दहर पर छटकेगी अफ़्शाँ हम नहीं होंगे

अब नहीं जन्नत मशाम-ए-कूचा-ए-यार की शमीम

निकहत-ए-ज़ुल्फ़ क्या हुई बाद-ए-सबा को क्या हुआ

मिरे दिल में है कि पूछूँ कभी मुर्शिद-ए-मुग़ाँ से

कि मिला जमाल-ए-साक़ी को ये तनतना कहाँ से

नई शमएँ जलाओ आशिक़ी की अंजुमन वालो

कि सूना है शबिस्तान-ए-दिल-ए-परवाना बरसों से

Recitation

Jashn-e-Rekhta | 8-9-10 December 2023 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate - New Delhi

GET YOUR PASS
बोलिए