Font by Mehr Nastaliq Web

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर
Amir Usmani's Photo'

आमिर उस्मानी

1920 - 1975 | सहारनपुर, भारत

प्रमुख गद्यकार, व्यंग्यकार और शायर

प्रमुख गद्यकार, व्यंग्यकार और शायर

आमिर उस्मानी के शेर

3.1K
Favorite

श्रेणीबद्ध करें

चंद अल्फ़ाज़ के मोती हैं मिरे दामन में

है मगर तेरी मोहब्बत का तक़ाज़ा कुछ और

बाक़ी ही क्या रहा है तुझे माँगने के बाद

बस इक दुआ में छूट गए हर दुआ से हम

आबलों का शिकवा क्या ठोकरों का ग़म कैसा

आदमी मोहब्बत में सब को भूल जाता है

इश्क़ के मराहिल में वो भी वक़्त आता है

आफ़तें बरसती हैं दिल सुकून पाता है

सबक़ मिला है ये अपनों का तजरबा कर के

वो लोग फिर भी ग़नीमत हैं जो पराए हैं

ये क़दम क़दम बलाएँ ये सवाद-ए-कू-ए-जानाँ

वो यहीं से लौट जाए जिसे ज़िंदगी हो पियारी

उस के वादों से इतना तो साबित हुआ उस को थोड़ा सा पास-ए-तअल्लुक़ तो है

ये अलग बात है वो है वादा-शिकन ये भी कुछ कम नहीं उस ने वादे किए

मिरी ज़िंदगी का हासिल तिरे ग़म की पासदारी

तिरे ग़म की आबरू है मुझे हर ख़ुशी से प्यारी

हमें आख़िरत में 'आमिर' वही उम्र काम आई

जिसे कह रही थी दुनिया ग़म-ए-इश्क़ में गँवा दी

ज़ाहिरन तोड़ लिया हम ने बुतों से रिश्ता

फिर भी सीने में सनम-ख़ाना बसा है यारो

कितनी पामाल उमंगों का है मदफ़न मत पूछ

वो तबस्सुम जो हक़ीक़त में फ़ुग़ाँ होता है

इश्क़ सर-ता-ब-क़दम आतिश-ए-सोज़ाँ है मगर

उस में शोला शरारा धुआँ होता है

अक़्ल थक कर लौट आई जादा-ए-आलाम से

अब जुनूँ आग़ाज़ फ़रमाएगा इस अंजाम से

थी सियाहियों का मस्कन मिरी ज़िंदगी की वादी

तिरे हुस्न के तसद्दुक़ मुझे रौशनी दिखा दी

Recitation

Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi

Get Tickets
बोलिए