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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

फ़रहत परवीन के शेर

यूँ दिया करते हैं हम तल्ख़-नवाई का जवाब

अपने लहजे में ज़रा और भी रस घोलते हैं

जैसा कल था आज भी वैसा और वैसा ही हो गा

आज का कर्ब उठाने में मैं कल का दुख भी सहती हूँ

यूँ दिया करते हैं हम तल्ख़-नवाई का जवाब

अपने लहजे में ज़रा और भी रस घोलते हैं

दो-जहाँ पाने का राज़ बताऊँ तुझ को

जा किसी प्यार-भरे दिल में ठिकाना कर ले

क्यों भेद खुले लाचारी का एहसान भी लें दिलदारी का

आँखों को नहीं हम करते नम पर दिल में समुंदर रखते हैं

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