घर लौट के रोएँगे माँ बाप अकेले में
मिट्टी के खिलौने भी सस्ते न थे मेले में
क़ैसर-उल जाफ़री, असली नाम क़ाज़ी सैयद ज़ुबैर अहमद जाफ़री, उर्दू के प्रख्यात शायर और साहित्यकार थे। इनका जन्म नज़रगंज, इलाहाबाद (उत्तर प्रदेश) में हुआ। इन्होंने प्रारंभिक शिक्षा उर्दू, फ़ारसी और अरबी में प्राप्त की और 1949 में मुंबई स्थानांतरित हो गए, जहाँ से इनकी साहित्यिक यात्रा की शुरुआत हुई।
इनके प्रसिद्ध काव्य संग्रहों में “रंग-ए-हिना”, “नबूवत के चराग़”, “संग-आशना”, “दश्त-ए-बे-तमन्ना”, “चराग़-ए-हरम” और “अगर दरिया मिला होता” शामिल हैं। इनके काव्य पर शोध कार्य भी हुआ और इनकी रचनाओं को कई पुरस्कार प्राप्त हुए।
क़ैसर-उल जाफ़री का निधन 5 अक्टूबर 2005 को मुंबई में हुआ, लेकिन इनकी शायरी उर्दू साहित्य का महत्वपूर्ण हिस्सा है और हमेशा याद की जाएगी।