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शाद अज़ीमाबादी की टॉप 20 शायरी
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टैग : ख़ामोशी
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ये बज़्म-ए-मय है याँ कोताह-दस्ती में है महरूमी
जो बढ़ कर ख़ुद उठा ले हाथ में मीना उसी का है
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ढूँडोगे अगर मुल्कों मुल्कों मिलने के नहीं नायाब हैं हम
जो याद न आए भूल के फिर ऐ हम-नफ़सो वो ख़्वाब हैं हम
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टैग : तअल्ली
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मैं 'शाद' तन्हा इक तरफ़ और दुनिया की दुनिया इक तरफ़
सारा समुंदर इक तरफ़ आँसू का क़तरा इक तरफ़
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दिल अपनी तलब में सादिक़ था घबरा के सू-ए-मतलूब गया
दरिया से ये मोती निकला था दरिया ही में जा कर डूब गया
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एक सितम और लाख अदाएँ उफ़ री जवानी हाए ज़माने
तिरछी निगाहें तंग क़बाएँ उफ़ री जवानी हाए ज़माने
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जो तंग आ कर किसी दिन दिल पे हम कुछ ठान लेते हैं
सितम देखो कि वो भी छूटते पहचान लेते हैं
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नाज़ुक था बहुत कुछ दिल मेरा ऐ 'शाद' तहम्मुल हो न सका
इक ठेस लगी थी यूँ ही सी किया जल्द ये शीशा टूट गया
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शब को मिरी चश्म-ए-हसरत का सब दर्द-ए-दिल उन से कह जाना
दाँतों में दबा कर होंट अपना कुछ सोच के उस का रह जाना
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