- Index of Books 188058
-
-
Book Categories
-
Children's Literature1964
Medicine914 Movements298 Novel4620 -
Book Categories
- Bait Bazi13
- Catalogue / Index5
- Couplets64
- Deewan1448
- Doha65
- Epics111
- Exegesis198
- Geet83
- Ghazal1165
- Haiku12
- Hamd45
- Humorous36
- Intikhab1581
- Keh mukarni6
- Kulliyat688
- Mahiya19
- Majmua5038
- Marsiya379
- Masnavi831
- Musaddas58
- Naat550
- Nazm1248
- Others68
- Paheli16
- Qasida189
- Qawwali19
- Qit'a62
- Quatrain296
- Quintuple17
- Rekhti13
- Remainders27
- Salaam33
- Sehra9
- shahr-Ashob, Hajw, Zatal Nama13
- Tareekh-Goi29
- Translation73
- Wasokht26
Syed Wahidudeen Salim
Article 9
Quote 6
हमारे शो'रा जब ग़ज़ल लिखने बैठते हैं तो पहले उस ग़ज़ल के लिए बहुत से क़ाफ़िए जमा' करके एक जगह लिख लेते हैं, फिर एक क़ाफ़िए को पकड़ कर उस पर शे'र तैयार करना चाहते हैं। ये क़ाफ़िया जिस ख़याल के अदा करने पर मजबूर करता है उसी ख़याल को अदा कर देते हैं। फिर दूसरे क़ाफ़िए को लेते हैं, ये दूसरा क़ाफ़िया भी जिस ख़याल के अदा करने का तक़ाज़ा करता है उसी ख़याल को ज़ाहिर करते हैं, चाहे ये ख़याल पहले ख़याल के बर-ख़िलाफ़ हो। अगर हमारी ग़ज़ल के मज़ामीन का तर्जुमा दुनिया की किसी तरक़्क़ी-याफ़्ता ज़बान में किया जाए, जिसमें ग़ैर-मुसलसल नज़्म का पता नहीं है तो उस ज़बान के बोलने वाले नौ दस शे'र की ग़ज़ल में हमारे शाइ'र के इस इख़तिलाफ़-ए-ख़याल को देखकर हैरान रह जाएं। उनको इस बात पर और भी तअ'ज्जुब होगा कि एक शे'र में जो मज़मून अदा किया गया है, उसके ठीक बर-ख़िलाफ़ दूसरे शे'र का मज़मून है। कुछ पता नहीं चलता कि शाइ'र का असली ख़याल क्या है। वो पहले ख़याल को मानता है या दूसरे ख़याल को। उसकी क़ल्बी सदा पहले शे'र में है या दूसरे शे'र में।
Sher-o-Shayari 2
Ghazal 2
Nazm 7
BOOKS 47
join rekhta family!
-
Children's Literature1964
-