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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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वजाहत अली संदैलवी

1916 - 1996 | सण्डीला, भारत

वजाहत अली संदैलवी के उद्धरण

जिस तरह हर गली के लिए कम से कम एक कम-तोल पंसारी, एक घर का शेर कुत्ता, एक लड़ाका सास, एक बद-ज़बान बहू, एक‏ नसीहत करने वाले बुज़ुर्ग, एक फ़ज़ीहत पी जाने वाला रिंद और हवाइज-ए-ज़रूरी से फ़ारिग़ होते हुए बहुत से बच्चों का‏ होना लाज़िमी होता है, उसी तरह किसी किसी भेस में एक माहिर-ए-ग़ालिबयात का होना भी लाज़िमी होता है और बग़ैर उसके‏ गिर्द-ओ-पेश का जुग़राफ़िया कुछ अधूरा रह जाता है।

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