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बहज़ाद लखनवी

1900 - 1974 | कराची, पाकिस्तान

नात, ग़ज़ल और भजन के ख़ास रंगों के मशहूर शायर । उनकी मशहूर ग़ज़ल ' ए जज़्बा-ए-दिल गर मैं चाहूँ ' को कई गायकों ने आवाज़ दी है

नात, ग़ज़ल और भजन के ख़ास रंगों के मशहूर शायर । उनकी मशहूर ग़ज़ल ' ए जज़्बा-ए-दिल गर मैं चाहूँ ' को कई गायकों ने आवाज़ दी है

बहज़ाद लखनवी

ग़ज़ल 31

नज़्म 2

 

अशआर 11

इश्क़ का एजाज़ सज्दों में निहाँ रखता हूँ मैं

नक़्श-ए-पा होती है पेशानी जहाँ रखता हूँ मैं

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दिल की ख़लिश चल यूँही सही चलता तो हूँ उन की महफ़िल में

उस वक़्त मुझे चौंका देना जब रंग पे महफ़िल जाए

'बहज़ाद' साफ़ साफ़ मैं कहता हूँ हाल-ए-दिल

शर्मिंदा-ए-कमाल मिरी शाइ'री नहीं

मैं ढूँढ रहा हूँ मिरी वो शम्अ कहाँ है

जो बज़्म की हर चीज़ को परवाना बना दे

हम भी ख़ुद को तबाह कर लेते

तुम इधर भी निगाह कर लेते

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नअत 48

पुस्तकें 52

चित्र शायरी 1

 

वीडियो 26

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शायर अपना कलाम पढ़ते हुए

बहज़ाद लखनवी

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बहज़ाद लखनवी

बहज़ाद लखनवी

बहज़ाद लखनवी

बहज़ाद लखनवी

बहज़ाद लखनवी

बहज़ाद लखनवी

बहज़ाद लखनवी

बहज़ाद लखनवी

ऐ जज़्बा-ए-दिल गर मैं चाहूँ हर चीज़ मुक़ाबिल आ जाए

बहज़ाद लखनवी

ऑडियो 5

ऐ जज़्बा-ए-दिल गर मैं चाहूँ हर चीज़ मुक़ाबिल आ जाए

क्या ये भी मैं बतला दूँ तू कौन है मैं क्या हूँ

तुम्हारे हुस्न की तस्ख़ीर आम होती है

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