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क़मर जलालवी

1887 - 1968 | कराची, पाकिस्तान

पाकिस्तान के उस्ताद शायर, कई लोकप्रिय शेरों के रचयिता।

पाकिस्तान के उस्ताद शायर, कई लोकप्रिय शेरों के रचयिता।

क़मर जलालवी

ग़ज़ल 60

अशआर 40

आएँ हैं वो मज़ार पे घूँघट उतार के

मुझ से नसीब अच्छे है मेरे मज़ार के

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ऐसे में वो हों बाग़ हो साक़ी हो 'क़मर'

लग जाएँ चार चाँद शब-ए-माहताब में

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जिगर का दाग़ छुपाओ 'क़मर' ख़ुदा के लिए

सितारे टूटते हैं उन के दीदा-ए-नम से

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नज़'अ की और भी तकलीफ़ बढ़ा दी तुम ने

कुछ बन आया तो आवाज़ सुना दी तुम ने

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रौशन है मेरा नाम बड़ा नामवर हूँ मैं

शाहिद हैं आसमाँ के सितारे क़मर हूँ मैं

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क़ितआ 7

पुस्तकें 7

 

चित्र शायरी 1

 

वीडियो 56

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वीडियो का सेक्शन
शायर अपना कलाम पढ़ते हुए

क़मर जलालवी

क़मर जलालवी

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क़मर जलालवी

क़मर जलालवी

क़मर जलालवी

क़मर जलालवी

क़मर जलालवी

क़मर जलालवी

क़मर जलालवी

क़मर जलालवी

क़मर जलालवी

क़मर जलालवी

क़मर जलालवी

क़मर जलालवी

क़मर जलालवी

क़मर जलालवी

क़मर जलालवी

क़मर जलालवी

क़मर जलालवी

क़मर जलालवी

क़मर जलालवी

क़मर जलालवी

क़मर जलालवी

क़मर जलालवी

क़मर जलालवी

क़मर जलालवी

अब कैसे रफ़ू पैराहन हो इस आवारा दीवाने का

क़मर जलालवी

इस में कोई फ़रेब तो ऐ आसमाँ नहीं

क़मर जलालवी

तौबा कीजे अब फ़रेब-ए-दोस्ती खाएँगे क्या

क़मर जलालवी

क़मर जलालवी

उन के जाते ही ये वहशत का असर देखा किए

क़मर जलालवी

कब मेरा नशेमन अहल-ए-चमन गुलशन में गवारा करते हैं

क़मर जलालवी

कभी कहा न किसी से तिरे फ़साने को

क़मर जलालवी

तुम को हम ख़ाक-नशीनों का ख़याल आने तक

क़मर जलालवी

तौबा कीजे अब फ़रेब-ए-दोस्ती खाएँगे क्या

क़मर जलालवी

पीते ही सुर्ख़ आँखें हैं मस्त-ए-शराब की

क़मर जलालवी

ये दर्द-ए-हिज्र और इस पर सहर नहीं होती

क़मर जलालवी

ये रोज़ हश्र का और शिकवा-ए-वफ़ा के लिए

क़मर जलालवी

राज़-ए-दिल क्यूँ न कहूँ सामने दीवानों के

क़मर जलालवी

साँस उन के मरीज़-ए-हसरत की रुक रुक के चलती जाती है

क़मर जलालवी

ऑडियो 10

अबरू तो दिखा दीजिए शमशीर से पहले

कब मेरा नशेमन अहल-ए-चमन गुलशन में गवारा करते हैं

करते भी क्या हुज़ूर न जब अपने घर मिले

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