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आईने में इक आईना कुछ उजला कुछ धुँदला सा

नसीर प्रवाज़

आईने में इक आईना कुछ उजला कुछ धुँदला सा

नसीर प्रवाज़

MORE BYनसीर प्रवाज़

    आईने में इक आईना कुछ उजला कुछ धुँदला सा

    मेरे आगे मेरा सरापा कुछ उजला कुछ धुँदला सा

    शर्त तो ये थी सारे मुंसिफ़ सच के अलावा कुछ लिखें

    लेकिन सब ने ख़ुद को सोचा कुछ उजला कुछ धुँदला सा

    जब भी ख़ुद को छू कर देखा रेत की इक दीवार लगा

    जब भी समझा ख़ुद को समझा कुछ उजला कुछ धुँदला सा

    बारिश जब मन जीत पाई दरिया से यारी कर ली

    लम्हा लम्हा भीगा भीगा कुछ उजला कुछ धुँदला सा

    एक पिघलते दिन का साया एक सुलगती रात का अक्स

    किस ने देखा जो अंदर था कुछ उजला कुछ धुँदला सा

    इस दुनिया से कुछ माँगा इस दुनिया को कुछ दिया

    रहा हाथ में अपना चेहरा कुछ उजला कुछ धुँदला सा

    लहरें तो आई थीं लेकिन साहिल छू कर लौट गईं

    दूर कोई साया लहराया कुछ उजला कुछ धुँदला सा

    जाने कैसे शोर ने मुझ को बे-आवाज़ किया 'पर्वाज़'

    हाथों में है अब सन्नाटा कुछ उजला कुछ धुँदला सा

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