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आसमाँ आसमाँ था मिरा कब हुआ मैं ज़मीं बे-सदा ये न मालूम था

शहनाज़ रहमत

आसमाँ आसमाँ था मिरा कब हुआ मैं ज़मीं बे-सदा ये न मालूम था

शहनाज़ रहमत

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    आसमाँ आसमाँ था मिरा कब हुआ मैं ज़मीं बे-सदा ये मालूम था

    इस मोहब्बत ने तोड़े हैं हम पर सितम तू भी सौदाई था ये मालूम था

    टूटे इक तार से सोज़ और साज़ से कितनी मुश्किल से जोड़ा था हम ने जिसे

    तिनका तिनका है बिखरा वही आशियाँ आएगी यूँ बला ये मालूम था

    तेरी फ़ितरत में ज़ालिम है सौदागरी तेरी महफ़िल में उल्फ़त भी बिकती रही

    झूटे वा'दों से मेरे हसीं ख़्वाब का तू ने सौदा किया ये मालूम था

    प्यार तुझ को किया मैं ने सच्चाई से फिर भी चारागर क्यों किया ये सितम

    मुझ से मुँह मोड़ कर जाएगा छोड़ कर तू नहीं है मिरा ये मालूम था

    जब भी हम हार कर टूट कर रो पड़े अपनी क़िस्मत पे और अपने हालात पर

    इक नया अज़्म ले कर मिरा हौसला देगा मुझ को सदा ये मालूम था

    तेरी दुनिया में यारब ये कैसा चलन क्यों खिलौना समझते हैं दिल को सभी

    होगी मजरूह मेरी जवाँ-आरज़ू दर्द मिल जाएगा ये मालूम था

    मर चुका था जहाँ में तू मेरे लिए फिर भी मेरे ख़यालों में ज़िंदा रहा

    मैं भी मुर्दा सी दुनिया में जी लूँगी यूँ लाश बन के सदा ये मालूम था

    मेरा दिल जाने क्यों बेवफ़ा दिलरुबा उम्र भर ख़्वाब तेरे ही बुनता रहा

    तू किसी और के ख़्वाबों का बन चुका एक ता'बीर था ये मालूम था

    मेरी साँसों ने मुझ से बग़ावत ही की तो मिरी साँस था तू मिरी रूह भी

    तू इबादत मिरी तू ही धड़कन मिरी तू ही मेरा ख़ुदा ये मालूम था

    दिल धड़कता है मेरा तिरे नाम पर मेरी साँसें भी चलती हैं एहसास पर

    तू ही मंज़िल मिरी तो मिरी जुस्तुजू तू मिरा नाख़ुदा ये मालूम था

    बे-सहारा हूँ मैं हूँ नसीबों जली कितनी मजबूर दुनिया में हूँ ना-तवाँ

    तू मिरा तो नहीं फिर भी दिल में तो है तू मिरा आसरा ये मालूम था

    अश्क बहते रहे फिर भी हँसती रही लब पे 'शहनाज़' उफ़ तक मैं ला सकी

    मेरी सच्चाइयाँ ही मिरी हैं ख़ता दिल था बाग़ी मिरा ये मालूम था

    चोट लगती रही हँस के सहती रही लब पे 'शहनाज़' उफ़ तक मैं ला सकी

    मेरी बर्बादियों का सबब इश्क़ है ज़िंदगी बेवफ़ा ये मालूम था

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