अगर सलामत रहा तसव्वुर तो बाग़-ए-दिल पुर-बहार होगा
अगर सलामत रहा तसव्वुर तो बाग़-ए-दिल पुर-बहार होगा
फ़ैज़ी निज़ाम पुरी
MORE BYफ़ैज़ी निज़ाम पुरी
अगर सलामत रहा तसव्वुर तो बाग़-ए-दिल पुर-बहार होगा
नफ़स में याद-ए-हबीब होगी नज़र में दीदार-ए-यार होगा
नज़र नज़र से मिले तो दम-भर कहाँ सुकून-ओ-क़रार होगा
न दिल पे कुछ इख़्तियार होगा न वक़्त का इंतिज़ार होगा
रियाज़-ए-हस्ती में इश्क़ ही से फ़रोग़-ए-हुस्न-ए-बहार होगा
नज़र नज़र ताबदार होगी नफ़स नफ़स यादगार होगा
ज़मीर-ए-इंसाँ के आइने की है क्या हक़ीक़त न पूछिएगा
नज़र में हिर्स-ओ-हवा मिलेगी हवस का दिल में ग़ुबार होगा
न रुक ग़मों से न डर जफ़ा से कठिन डगर है तो हो बला से
अगर तिरा शौक़ है सलामत हर इक क़दम कामगार होगा
हसीन साथी हसीन रहबर हसीन राहें हसीन मंज़िल
बहर-क़दम जन्नत-ए-नज़र है सफ़र बहुत ख़ुश-गवार होगा
तिरी नज़र की नवाज़िशें हैं कि मस्त-ओ-बे-ख़ुद पड़े हुए हैं
किसे ख़बर थी कि आज अपना भी मय-कशों में शुमार होगा
ग़म-ए-मोहब्बत जो देखना है तो मेरे अशआ'र पढ़ के देखो
मिलेगी तस्वीर हर सुख़न में ख़याल आईना-दार होगा
पिलाए जा साक़ी-ए-मोहब्बत वो और ही हैं वो मैं नहीं हूँ
जो मुंतज़िर होंगे फ़स्ल-ए-गुल के जिन्हें ख़याल-ए-बहार होगा
जला तू दे शम-ए-आरज़ू को किए तू जा बज़्म-ए-दिल को रौशन
अगर मोहब्बत में है सदाक़त ज़रूर तू कामगार होगा
जिन्हें तमन्ना-ए-दीद होगी उन्हें ये मुज़्दा सुना दो 'फ़ैज़ी'
नज़र से अपनी नक़ाब उलट दो नसीब दीदार-ए-यार होगा
Additional information available
Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.
About this sher
Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.
rare Unpublished content
This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.