बात क्या है वो तजल्ली ब-सर-ए-तूर नहीं
बात क्या है वो तजल्ली ब-सर-ए-तूर नहीं
इश्क़ मजबूर सही हुस्न तो मजबूर नहीं
जिस में मर्ज़ी हो तिरी अपनी रज़ा भी है वही
ख़ुद-परस्ती हो मोहब्बत का ये दस्तूर नहीं
निगह-ए-चश्म-ए-करम कार-ए-रफ़ू करती है
याँ दुरुस्ती दिल-ए-सद-चाक की मंज़ूर नहीं
अब किसे साग़र-ए-मय आ के पिलाए साक़ी
नज़्र-ए-सर देने को सरमद नहीं मंसूर नहीं
पास-ए-सय्याद ने रोका है ब-मुश्किल वर्ना
तन है पाबंद-ए-क़फ़स नाला तो मजबूर नहीं
क़हर से तेरे ज़ियादा है इनायत तेरी
बख़्श दे 'नूर' को रहमत से ये कुछ दूर नहीं
- पुस्तक : غزل اس نے چھیڑی (पृष्ठ 321)
- रचनाकार : فرحت احساس
- प्रकाशन : ریختہ بکس ،بی۔37،سیکٹر۔1،نوئیڈا،اترپردیش۔201301
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