बहादुर हार कर भी शान अपनी कम नहीं करते
बहादुर हार कर भी शान अपनी कम नहीं करते
वो अपने दुश्मनों के सामने सर ख़म नहीं करते
हमेशा सच ही कहते हैं वगरना चुप ही रहते हैं
सियासत झूट की लेकिन कभी भी हम नहीं करते
मुक़द्दर से मिला है जो किसी सूरत नहीं कम वो
मुक़द्दर में नहीं है जो हम उस का ग़म नहीं करते
ख़फ़ा दुनिया अगर होती है हम से बे-सबब तो हो
कभी अपनी तरफ़ से हम उसे बरहम नहीं करते
मुनाफ़ा' ही नहीं गर 'इश्क़ के ब्योपार में कोई
तो फिर छोड़ो ख़सारे की तिजारत हम नहीं करते
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