बे-दाद-कश हैं हम कोई बेदाद-गर नहीं
बे-दाद-कश हैं हम कोई बेदाद-गर नहीं
दिल किस को दीजिए कोई तुम सा बशर नहीं
कहते हैं वो कि बात तिरी मो'तबर नहीं
ये भी किनाया है कि फ़ुग़ाँ में असर नहीं
लिल्लाह तेग़-ए-नाज़ करो अब मियान में
बिस्मिल है इक जहाँ कोई बाक़ी बशर नहीं
तदबीर में भी पा-ए-मुक़द्दर है दरमियाँ
सच है किसी के हाथ में नफ़-ओ-ज़रर नहीं
सौदा-ए-ज़ुल्फ़-ए-यार का क़िस्सा न पूछिए
ये दास्ताँ दराज़ है कुछ मुख़्तसर नहीं
उस बुत का किस से शिकवा-ए-बेदाद कीजिए
उस सम्त को ख़ुदाई है कोई इधर नहीं
जब तक बहा-ए-बोसा न दोगे न देंगे हम
पाए पड़े हुए दिल-ओ-जान-ओ-जिगर नहीं
माना अभी न आए मगर वा'दा तो किया
क्यूँकर कहूँ दुआ-ए-सहर में असर नहीं
क्या कह के सोज़-ए-इश्क़ का क़िस्सा सुनाएँ हम
आतिश नहीं है बर्क़ नहीं है शरर नहीं
सर रख दिया है पाँव पे क़ातिल के देखना
आता है या वो क़ाबू में या अपना सर नहीं
पूछा न उस ने संग-दिली से वगर्ना क्या
हाल-ए-ख़राब की मिरे उस को ख़बर नहीं
ईमान-ओ-हुब्ब-ए-आल-ए-नबी साथ है 'फ़िदा'
बे-ज़ाद-ओ-राहिला ये अदम का सफ़र नहीं
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