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बुरी ज़मीनों के फ़ासलों को मिटाते रहना

इकराम बसरा

बुरी ज़मीनों के फ़ासलों को मिटाते रहना

इकराम बसरा

MORE BYइकराम बसरा

    बुरी ज़मीनों के फ़ासलों को मिटाते रहना

    मैं लौट आऊँगा मुझ को वापस बुलाते रहना

    ये गर्द-बादों का मसअला है कि मश्ग़ला है

    हवा के दामन पे दाएरे से बनाते रहना

    तिरी तलब के अलावा अपना कोई नहीं है

    क़रीब कर भी कुछ कुछ दूर जाते रहना

    तुम्हारी आँखें तो ज़िंदगी से भरी हुई हैं

    हमारे जैसों का हौसला भी बढ़ाते रहना

    वो नज़्म जिस को पढ़ा नहीं था जिया था हम ने

    कोई भी रुत हो बहार आई सुनाते रहना

    विसाल क्या है सुपुर्दगी का कमाल क्या है

    बढ़ा-चढ़ा कर सहेलियों को बताते रहना

    नज़र भी रखना मोहल्ले वालों की ज़िंदगी पर

    कबूतरों को भी दाना-वाना खिलाते रहना

    बिछड़ना चाहो तो अपने दिल की नफ़ी करना

    यही बहुत है जहाँ रहो मुस्कुराते रहना

    ये पेड़ वो हैं जो आसमानों को साया देंगे

    जो हो सके तो दुआ के पौदे लगाते रहना

    हमारी दुनिया में हैरतों की बहुत कमी है

    ये आग अंदर से बुझ रही है जलाते रहना

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