बुत ख़ुदा काबा सनम-ख़ाना बना सकती है
बुत ख़ुदा काबा सनम-ख़ाना बना सकती है
क्या से क्या जुरअत-ए-रिंदाना बना सकती है
जिस्म के ख़ोल में हैवाँ को छुपा कर तहज़ीब
शहर के वस्त में वीराना बना सकती है
वाक़िआ' शर्त नहीं है कि ज़बान-ए-मख़्लूक़
बात बे-बात भी अफ़्साना बना सकती है
सई से बन नहीं सकती है अज़ल की बिगड़ी
ये तिरी शान-ए-करीमाना बना सकती है
ज़ेहन की सोच पे मब्नी है बहिश्त-ओ-दोज़ख़
अक़्ल ये बस्तियाँ रोज़ाना बना सकती है
ख़ुसरवी अपनी जगह ख़ूब है लेकिन दिल को
मुतमइन तब-ए-फ़क़ीराना बना सकती है
किस को मालूम था 'शौकत' कि अब इस उम्र में भी
एक लड़की हमें दीवाना बना सकती है
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