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चली मस्तानों की टोली कि अब मौसम बदलता है

स्वाती सानी रेशम

चली मस्तानों की टोली कि अब मौसम बदलता है

स्वाती सानी रेशम

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    चली मस्तानों की टोली कि अब मौसम बदलता है

    है रंगों से भरी झोली कि अब मौसम बदलता है

    चमन में शोर-ओ-ग़ुल है और रंगों की हैं बरसातें

    बिरज में आज है होरी कि अब मौसम बदलता है

    सदा कोयल की जब आए शजर पे बौर भर आए

    महक उठती है अमराई कि अब मौसम बदलता है

    बिछौने लग गए छत पर सितारे 'अर्श पर छाए

    सुराही भी भरी रक्खी कि अब मौसम बदलता है

    घटा वादी पे घिर आती हवा में ताज़गी लाती

    पपीहे ने सदा दे दी कि अब मौसम बदलता है

    कोई बिजली कहीं चमकी कोई बदरी कहीं बरसी

    सुहानी शाम सावन की कि अब मौसम बदलता है

    पड़ी जो बूँद बारिश की तो सोंधी मिट्टी महकी यूँ

    चमन महका कली चटकी कि अब मौसम बदलता है

    चली आती हैं सुब्हें अब गुलाबी ओढ़नी पहने

    सजी फूलों से है धरती कि अब मौसम बदलता है

    सितारे मुस्कुराते हैं फ़लक पे झिलमिलाते हैं

    हवा में ख़ुनकी है थोड़ी कि अब मौसम बदलता है

    कभी जब शाम ढल जाए हवा जब सर्द हो जाए

    भरी हो चाय की प्याली कि अब मौसम बदलता है

    उमंगें और जवाँ रातें कभी शो'ला कभी शबनम

    अब ज़ुल्फ़ों में है चाँदी कि अब मौसम बदलता है

    वही गुल था वही ख़ुशबू मगर गुलशन बना दुश्मन

    ख़िज़ाँ आई चली आँधी कि अब मौसम बदलता है

    धनक के रंग बिखरा दो मोहब्बत जाग जाएगी

    ज़माने को सिखा देगी कि अब मौसम बदलता है

    दिलों में क़ैद थे तन्हा ये मौसम चाहतों के सब

    मोहब्बत ने सदा दे दी कि अब मौसम बदलता है

    गुलों से रंग-ओ-बू चुन कर सजा ले ज़िंदगी 'रेशम'

    महकती रात की रानी कि अब मौसम बदलता है

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