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चमन कल था जो सहरा हो गया है

नसीम अजमल

चमन कल था जो सहरा हो गया है

नसीम अजमल

MORE BYनसीम अजमल

    चमन कल था जो सहरा हो गया है

    अजब रूहों का डेरा हो गया है

    तमाशा सब नज़र का हो चुका बस

    बदन का रंग गहरा हो गया है

    वो आहट आज कैसी बे-सदा है

    ये मुझ में कौन बहरा हो गया है

    ये दरिया सारा पत्थर बन चुका है

    या ये एहसास गहरा हो गया है

    परिंदा ख़ूँ से तर आँखों में उड़ता

    सफ़र अपना सुनहरा हो गया है

    मैं जिन सड़कों पर अक्सर घूमता था

    वहाँ पर आज पहरा हो गया है

    वो मेरा हाथ थामे कह रहा है

    चलो घर अब अंधेरा हो गया है

    बस इक आवाज़ घर में गूँजती है

    ज़रा सो ले सवेरा हो गया है

    सुनेगा क्या सितारों की सदाएँ

    मिरा आकाश बहरा हो गया है

    बिछड़ कर ख़ुद से मैं रोता था पहरों

    ये सदमा भी इकहरा हो गया है

    मैं उस के ग़म में 'अजमल' डूबता क्या

    समुंदर और गहरा हो गया हे

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