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चुप हैं पाओं तो रहगुज़र ख़ामोश

शबाना यूसुफ़

चुप हैं पाओं तो रहगुज़र ख़ामोश

शबाना यूसुफ़

MORE BYशबाना यूसुफ़

    चुप हैं पाओं तो रहगुज़र ख़ामोश

    वक़्त की हीर का सफ़र ख़ामोश

    हिज्र की बद-नसीब गलियों में

    चाँद फिरता है रात भर ख़ामोश

    कौन निकला है ख़ाना-ए-दिल से

    कुछ दिनों से हैं बाम-ओ-दर ख़ामोश

    कोई हंगामा बोलता ही नहीं

    शाम के लब पे चुप सहर ख़ामोश

    याद के पुर-मलाल मौसम में

    फूल ख़ुशबू हवा शजर ख़ामोश

    एक खिड़की से अजनबी आँखें

    गुफ़्तुगू करती हैं मगर ख़ामोश

    क्यों 'शबाना' मुहाजिरों की तरह

    फिर रही हो नगर नगर ख़ामोश

    स्रोत :
    • पुस्तक : اردو غزل کا مغربی دریچہ(یورپ اور امریکہ کی اردو غزل کا پہلا معتبر ترین انتخاب) (पृष्ठ 345)
    • प्रकाशन : کتاب سرائے بیت الحکمت لاہور کا اشاعتی ادارہ

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