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दम-ब-दम मेरा तरफ़-दार हुआ करता था

आरिफ़ नज़ीर

दम-ब-दम मेरा तरफ़-दार हुआ करता था

आरिफ़ नज़ीर

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    दम-ब-दम मेरा तरफ़-दार हुआ करता था

    ये जो दुश्मन है कभी यार हुआ करता था

    जो तिरे दिल से तड़ी-पार हुआ करता था

    मर्ग-ए-तन्हाई से दो-चार हुआ करता था

    मैं समझता था मोहब्बत ही मिरी दौलत है

    पर मिरा यार समझदार हुआ करता था

    इक मसीहा-ए-मोहब्बत का मतब सामने था

    और मैं शौक़ से बीमार हुआ करता था

    हाए वो लोग जो कहते थे वही करते थे

    जिन का लिक्खा हुआ शहकार हुआ करता था

    पहले तहज़ीब से ख़बरें भी पढ़ी जाती थीं

    और अख़बार भी अख़बार हुआ करता था

    चश्म-ए-हैराँ में लिए फिरता है अपनी हसरत

    ख़ुश-नसीबी का जो मे'यार हुआ करता था

    आँख-भर देख लिया करता था उस को फिर मैं

    आइना देख के सरशार हुआ करता था

    ये जो रस्ता तुम्हें दुश्वार नज़र आता है

    चार क़दमों की मिरी मार हुआ करता था

    अब मुझे देख के मुँह फेर लिया करता है

    पहले वो आइना-बरदार हुआ करता था

    अब तो दुश्मन भी नहीं है वो हमारा 'आरिफ़'

    यार वो यार जो दिलदार हुआ करता था

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