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देखिए तो शजर भी लगता है

निसार राही

देखिए तो शजर भी लगता है

निसार राही

MORE BYनिसार राही

    देखिए तो शजर भी लगता है

    छूना चाहें तो डर भी लगता है

    तेरी यादें भी साथ रहती हैं

    और तन्हा सफ़र भी लगता है

    मौसमों का क़ुसूर है वर्ना

    शाख़ पर तो समर भी लगता है

    कोई आहट कोई निशान नहीं

    क्यों तुम्हारा गुज़र भी लगता है

    उन के आने से ये हुआ मालूम

    इक पयम्बर बशर भी लगता है

    अपने अल्फ़ाज़ को तराश 'निसार'

    बात करना हुनर भी लगता है

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