दिल बहलने की राह करता हूँ
दिल बहलने की राह करता हूँ
जो न करना हो आह करता हूँ
ए'तिबार-ए-निगाह करता हूँ
ये अगर है गुनाह करता हूँ
एक बुत से निबाह करता हूँ
दिल की दुनिया तबाह करता हूँ
हुस्न-ए-सरमद की चाह करता हूँ
आसमाँ पर निगाह करता हूँ
ए'तिबार-ए-निगाह करता हूँ
कितना मौज़ूँ गुनाह करता हूँ
सोज़-ए-ग़म से निबाह करता हूँ
बे-ख़ुदी को गवाह करता हूँ
मय-परस्ती सवाब है ज़ाहिद
ये अगर है गुनाह करता हूँ
कौन होता है इस तरह माइल
तुम हसीं हो निगाह करता हूँ
तेरी रहमत का आसरा ले कर
हर सफ़ेद-ओ-सियाह करता हूँ
'शाद' रखने के आप ज़ामिन हैं
फ़िक्र मैं ख़्वाह-मख़ाह करता हूँ
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