दिलकश गुरेज़-पा शब-ए-महताब की तरह
दिलकश गुरेज़-पा शब-ए-महताब की तरह
ये ज़िंदगी है एक हसीं ख़्वाब की तरह
साक़ी तिरे करम तिरी दरिया-दिली की ख़ैर
हम तिश्ना-लब हैं साहिल-ए-बे-आब की तरह
दिल के सदफ़ में हम ने छुपाया है उम्र-भर
हर अश्क-ए-ग़म को गौहर-ए-नायाब की तरह
यारों ने मेरी राह में कितने ख़ुलूस से
काँटे बिछाए अतलस-ओ-कमख़्वाब की तरह
क्या पूछते हो लज़्ज़त-ए-ज़हराब-ए-ज़िंदगी
हम पी रहे हैं हँस के मय-ए-नाब की तरह
दरिया-ए-ग़म है और सफ़ीना हयात का
हर मौज-ए-बे-क़रार है गिर्दाब की तरह
इक हश्र-ए-इज़्तिराब रग-ओ-पै में है रवाँ
इक इक लहू की बूँद है सीमाब की तरह
दुश्वार किस क़दर हैं मोहब्बत के मरहले
दुश्मन भी साथ साथ हैं अहबाब की तरह
ये और बात है कि रहा पास-ए-ग़म 'तुफ़ैल'
बे-ताब हम भी थे दिल-ए-बेताब की तरह
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