एहसास-ए-मोहब्बत का जादू पैहम यूँ चलता रहता है
एहसास-ए-मोहब्बत का जादू पैहम यूँ चलता रहता है
हर शम्अ' के जल कर बुझने तक परवाना भी जलता रहता है
इंसाफ़ कर ऐ साक़ी तू ही पीने में न क्यों हो बद-मज़गी
जब रोज़ तिरे मयख़ाने का दस्तूर बदलता रहता है
मालूम नहीं जाना है कहाँ दिन रात यूँ ही मंज़िल मंज़िल
रस्ता है कि कटता जाता है राही है कि चलता रहता है
ले जाम उठा और ख़ैर मना इन पीने वालों की साक़ी
मय-ख़्वारों के हंगामे ही से मय-ख़ाना सँभलता रहता है
इक वो हैं यहाँ तक आने में सौ हीले बहाने करते हैं
इक दिल है जो मेरे पहलू में हर वक़्त मचलता रहता है
शर्माई निगाहों का आलम पूछे तो कोई मेरे दिल से
पलकें हैं कि झुकती जाती हैं जादू है कि चलता रहता है
है इस का भरोसा ला-हासिल ऐ सोज़ जवानी का सूरज
चढ़ता है तो चढ़ता जाता है ढलता है तो ढलता रहता है
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